मुझे A से B तक का सफ़र तय करना था। A से B तक की दूरी महज 40 km थी। सफ़र आसान था , मगर मेरे distance और displacement के कुछ formulas ने 40km का सफ़र 400km में बदल दिया। सफ़र वास्तव में आसान था , पर मैं गोल - गोल एक ही जगह में घूमता रहा। वजह रही कि सफ़र कभी पूरा नहीं हो पाया।
बेशक मैं ये सफ़र पूरा नहीं कर पाया , पर इस सफ़र ने मुझे एक बहुत महत्वपूर्ण बात बतायी। वो ये, कि A आपकी शुरुवात है और B आपकी सफलता। आपको A से B तक चलना है और इस दौरान , कई मुश्किल हालातों का सामना भी करना है। अब ये आपके ऊपर है , कि या तो आप सफ़र पूरा करते हैं या फिर बीच से ही वापस लौट आतें हैं। इस सफ़र में शुरुवात आपकी सोच है और सफलता आपकी मंजिल तथा इस सफ़र को तय करने वाले आप हैं।
तो दोस्तों , जिन्दगी में किसी भी सफ़र के दौरान ये जरुर सोचना है। कि
- मेरा Destination क्या है
- क्या मैं सहीं Direction में आगे बढ रहा हूँ।
- कहीं मैं गोल-गोल तो चक्कर नहीं काट रहा।
- और कितना सफ़र बांकी है।
इसके बाद आपकी राह चाहे कोई सी क्यों ना हो , पर इन बातों को जरुर ध्यान रखना है. कि
- बढ तो हर कोई रहा है।
- आप किसलिए बढ रहे हैं।
- आप किस दिशा में बढ रहे हैं।
- किस रफ़्तार से बड़ रहे हैं।
- कितना पा लिया आपने और कितना खो रहे हैं।
जाहिर है ,आपकी मंजिल के अनुसार थोडा वक़्त जरुर लगेगा , पर इस समय में लगातार चलते रहना ही आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगा। बस जरुरी है कि आप कोई एक राह चुने और मंजिल को ध्यान में रख पुरे विश्वास से आगे बडें।
मुझे पूरा विश्वास है की सफ़र जरुर आसान होगा।
आशा करता हूँ की ये Article आपके जरुर काम आएगा .
thank you
lalit parihar
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