कैसे बताउँ माँ
शब्द-शब्द मैं प्रेम की बूंदे,
ऐसे लोरी सुनाती है,
सुख से भर कर मेरा जीवन
अपना दुख मैं समाती है,
लों प्यार की ,कम हो ना जिसकी
ऐसी अमर तू बाती है,
हाथ फेर कर प्यार से सिर पर
सारा दर्द भुलाती है,
कैसे बताउँ माँ तुझको फिर
याद तू कितना आती है.
एक शब्द में पूरे जग का
प्यार समेटे जाती है,
दूर मैं तुझसे जितना जाउँ
पास तू उतना आती है,
खुश्बू तेरे उन कपड़ो से
आज भी वैसी आती है,
कैसे बताउँ माँ तुझको फिर,याद तू कितना आती है.
अब जब तू मेरे पास नही है,दुनिया चुभ सी जाती है,
बंद करूँ जब पलके अपनी , तस्वीर एक तेरी आती है,
और यादें तेरी जितनी आती , उतना मुझको रूलाती है,
आँख से गिरती हर एक बूंदे ,तेरी शक्ल बनाती है,
फिर कैसे बताउँ माँ तुझको मैं,
याद तू कितना आती है,
और कैसे बताउँ माँ तुझको फिर ,याद तू कितना आती है....
writer
ऐल्पी (ललित परिहार)
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