हर दिन की शुरुवात हमें पहाड़ के किसी ऊँचे स्थान पर लाकर खड़ा कर देती है। उस स्थान पर हमें अपनी गूंज ही बार -बार सुनाई पड़ती है। जैसा हम बोलते हैं वैसा ही सुनाई देता है और ज्यादा सुनाई देता है।
वास्तविक जिन्दगी का भी यही नियम है "जैसा करोगे वैसा भरोगे " "जैसा बोवोगे वैसा पाओगे " आप जो भी करोगे जैसा भी करोगे , बदले में प्रतिउत्तर आपको जरुर मिलेगा। यही सबसे महत्वपूर्ण और जरुरी प्रोटोकॉल है जिन्दगी का। गर यही न हो ,तो कर ली जाये चाहे जिन्दगी भर मेहनत पर कोई फल नहीं मिलने वाला। यही नियम है, जिसके कारण मेहनतकश इंसान को उसका मेहनताना मिलता है। इसी के कारण चैन की साँसे मिला करती है , सुख से भरी जिन्दगी और खुशियाँ मिला करती है। इसी से नरक और स्वर्ग बना करते हैं। फिर चाहे कितनी कोशिश कर ली जाए इससे दूर भागने की पर भागा नहीं जा सकता। हो सकता है , पहाड़ी से आवाज़ लौटने में देर लग जाए पर नहीं सुनाई देगी ऐसा सोचना भी व्यर्थ है। वो देर से आएगी पर सुनाई जरूर देगी।
इस नियम की एक और खासियत है कि ये लूप बना देता है। आप कुछ भी करो चाहे कैसा करो , आपके हर एक काम से इस नियम का लूप जुड़ जाता है , और यही लूप आपको क्रिया की प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
तो दोस्तों , ऐसे में बेहतर है कि किसी भी काम को करने से पहले थोडा सोच लिया जाए। आप क्या चाहते हैं अपने लिए व आपके कदम किस ओर प्रेरित हैं , इसका ध्यान रखा जाए और वही बोलें जो आप अपने लिए सुनना चाहते हैं।
आशा करता हूँ , आपके मंगलमयी जीवन के लिए ये जरूर सहयोग देगा।
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